career in advertising....
विज्ञापन का क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है जिस कारण इस सेक्टर में रोजगार के ऑप्शन देखने को मिलते हैं.
साधारणत: विज्ञापन किसी उत्पाद, सेवा अथवा सामाजिक मुद्दे के बारे में लोगों को जागरूक करते हैं. विज्ञापन विभाग किसी भी उद्योग के उन प्रमुख विभागों में से एक होता है, जो आज के कॉरपोरेट परिवेश में उद्योग को प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाता है.
विज्ञापन का क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है जिस कारण इस सेक्टर में रोजगार के ऑप्शन देखने को मिलते हैं. कहा जाता है कि 'जो दिखता है वही बिकता है' यानी विज्ञापन का कॉन्सेप्ट दिखाने यानी प्रजेंटेशन पर आधारित होता है.
आप अपने प्रोडक्ट को कितने अच्छे तरीके से प्रस्तुत करते हैं कि सामने वाला चाहे या अनचाहे मन से ही आपके प्रोडक्ट या सर्विस को एक बार लेने के लिए सोचने को मजबूर हो जाता है.
यही विज्ञापन कहलाता है. हमारे बीच, विज्ञापन का अच्छा खासा प्रयोग टेलीविजन, अखबार, वेबसाइट, होर्डिंग्स या मैगजींस में जरूर देखने को मिलते हैं.
योग्यता
इस सेक्टर में प्रवेश लेने से पूर्व किसी शिक्षण संस्थान से स्नातक या स्नातकोत्तर स्तर पर विज्ञापन में डिग्री या डिप्लोमा हासिल करना जरूरी होता है.
इसके लिए स्नातक स्तर के कोर्स में प्रवेश लेने के लिए आपको बारहवीं या उसके समकक्ष डिग्री करीब 50 प्रतिशत अंकों के साथ होनी चाहिए.
वहीं, स्नातकोत्तर स्तर पर प्रवेश लेने के लिए स्नातक स्तर पर भी कम से कम 50 प्रतिशत अंकों के साथ डिग्री प्राप्त होना चाहिए.
खास बात तो यह है कि मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई करने वाले भी इस क्षेत्र में प्रवेश प्राप्त कर सकते हैं, बशत्रे उनमें प्रस्तुतिकरण को लेकर कुछ खास करने की क्षमता हो.
कार्य की प्रकृति
चूंकि विज्ञापन में कार्य की प्रकृति मुख्य रूप से लेखन और डिजाइन दोनों में होती है, इसलिए लेखन में क्रिएटिव व्यक्ति राइटिंग की तरफ रुख कर सकता है जबकि चित्रों, कलर और विभिन्न आकारों से डिजाइन तैयार करने वाला, डिजाइन की तरफ आसानी से रुख कर सकता है.
दोनों ही क्षेत्रों में अनुभवी और रचनात्मक गुण वालों की जबर्दस्त मांग होती है.
व्यक्तिगत गुण
इस सेक्टर में शैक्षिक योग्यता के साथ-साथ सृजनात्मकता और हर साधारण काम को नये तरीके से अंजाम देने की क्षमता जरूरी है. टीम वर्क में काम करने में भी महारत होनी चाहिए.
हर किसी बिंदु पर हमेशा नया नजरिया तैयार होना चाहिए. संवाद प्रखर होना आवश्यक है. वज्ञापन प्रस्तुतिकरण का हुनर होना जरूरी है. सबसे ज्यादा जरूरी है, अपने काम के प्रति आत्मविश्वास का होना.
इसके अलावा, विभिन्न सॉफ्टवेयर जैसे फोटोशॉप, कोरलड्रा, इन डिजाइन का भी अच्छा ज्ञान जरूरी है.
खर्च
देशभर में कई सरकारी और निजी शिक्षण संस्थानों में विज्ञापन की पढ़ाई कराई जाती है. इसका सालाना खर्च पचास हजार से एक लाख रुपये तक होता है.
नौकरियां
प्राइवेट विज्ञापन एजेंसियों, प्राइवेट या फिर पब्लिक सेक्टर की विज्ञापन कंपनियों, समाचारपत्रों के विज्ञापन विभाग, पत्रिकाएं, रेडियो और टेलीविजन के कमर्शियल विभाग, मार्केटिंग रिसर्च संस्थानों में नौकरी की तलाश की जा सकती है.
साथ ही, मार्केट रिसर्च, मीडिया प्लानिंग, कॉपीराइटर्स और विजुलाइजर आदि पदों पर नौकरी प्राप्त कर सकते हैं. पीएचडी करने के बाद शिक्षण संस्थानों में बतौर प्राध्यापक भी जॉब कर सकते हैं या फिर अपनी कंपनी खो लकर भी काम कर सकते हैं.
आमदनी
बतौर ट्रेनी नौकरी की शुरुआत करने वाले आराम से आठ से दस हजार रुपये की मासिक सैलरी पर काम शुरू कर सकते हैं, जो अनुभव के आधार पर बढ़ता रहता है.
कुछ बरसों के अनुभव पर पचास से एक लाख रुपये मासिक आमदनी हो सकती
विज्ञापन का क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है जिस कारण इस सेक्टर में रोजगार के ऑप्शन देखने को मिलते हैं.
साधारणत: विज्ञापन किसी उत्पाद, सेवा अथवा सामाजिक मुद्दे के बारे में लोगों को जागरूक करते हैं. विज्ञापन विभाग किसी भी उद्योग के उन प्रमुख विभागों में से एक होता है, जो आज के कॉरपोरेट परिवेश में उद्योग को प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाता है.
विज्ञापन का क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है जिस कारण इस सेक्टर में रोजगार के ऑप्शन देखने को मिलते हैं. कहा जाता है कि 'जो दिखता है वही बिकता है' यानी विज्ञापन का कॉन्सेप्ट दिखाने यानी प्रजेंटेशन पर आधारित होता है.
आप अपने प्रोडक्ट को कितने अच्छे तरीके से प्रस्तुत करते हैं कि सामने वाला चाहे या अनचाहे मन से ही आपके प्रोडक्ट या सर्विस को एक बार लेने के लिए सोचने को मजबूर हो जाता है.
यही विज्ञापन कहलाता है. हमारे बीच, विज्ञापन का अच्छा खासा प्रयोग टेलीविजन, अखबार, वेबसाइट, होर्डिंग्स या मैगजींस में जरूर देखने को मिलते हैं.
योग्यता
इस सेक्टर में प्रवेश लेने से पूर्व किसी शिक्षण संस्थान से स्नातक या स्नातकोत्तर स्तर पर विज्ञापन में डिग्री या डिप्लोमा हासिल करना जरूरी होता है.
इसके लिए स्नातक स्तर के कोर्स में प्रवेश लेने के लिए आपको बारहवीं या उसके समकक्ष डिग्री करीब 50 प्रतिशत अंकों के साथ होनी चाहिए.
वहीं, स्नातकोत्तर स्तर पर प्रवेश लेने के लिए स्नातक स्तर पर भी कम से कम 50 प्रतिशत अंकों के साथ डिग्री प्राप्त होना चाहिए.
खास बात तो यह है कि मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई करने वाले भी इस क्षेत्र में प्रवेश प्राप्त कर सकते हैं, बशत्रे उनमें प्रस्तुतिकरण को लेकर कुछ खास करने की क्षमता हो.
कार्य की प्रकृति
चूंकि विज्ञापन में कार्य की प्रकृति मुख्य रूप से लेखन और डिजाइन दोनों में होती है, इसलिए लेखन में क्रिएटिव व्यक्ति राइटिंग की तरफ रुख कर सकता है जबकि चित्रों, कलर और विभिन्न आकारों से डिजाइन तैयार करने वाला, डिजाइन की तरफ आसानी से रुख कर सकता है.
दोनों ही क्षेत्रों में अनुभवी और रचनात्मक गुण वालों की जबर्दस्त मांग होती है.
व्यक्तिगत गुण
इस सेक्टर में शैक्षिक योग्यता के साथ-साथ सृजनात्मकता और हर साधारण काम को नये तरीके से अंजाम देने की क्षमता जरूरी है. टीम वर्क में काम करने में भी महारत होनी चाहिए.
हर किसी बिंदु पर हमेशा नया नजरिया तैयार होना चाहिए. संवाद प्रखर होना आवश्यक है. वज्ञापन प्रस्तुतिकरण का हुनर होना जरूरी है. सबसे ज्यादा जरूरी है, अपने काम के प्रति आत्मविश्वास का होना.
इसके अलावा, विभिन्न सॉफ्टवेयर जैसे फोटोशॉप, कोरलड्रा, इन डिजाइन का भी अच्छा ज्ञान जरूरी है.
खर्च
देशभर में कई सरकारी और निजी शिक्षण संस्थानों में विज्ञापन की पढ़ाई कराई जाती है. इसका सालाना खर्च पचास हजार से एक लाख रुपये तक होता है.
नौकरियां
प्राइवेट विज्ञापन एजेंसियों, प्राइवेट या फिर पब्लिक सेक्टर की विज्ञापन कंपनियों, समाचारपत्रों के विज्ञापन विभाग, पत्रिकाएं, रेडियो और टेलीविजन के कमर्शियल विभाग, मार्केटिंग रिसर्च संस्थानों में नौकरी की तलाश की जा सकती है.
साथ ही, मार्केट रिसर्च, मीडिया प्लानिंग, कॉपीराइटर्स और विजुलाइजर आदि पदों पर नौकरी प्राप्त कर सकते हैं. पीएचडी करने के बाद शिक्षण संस्थानों में बतौर प्राध्यापक भी जॉब कर सकते हैं या फिर अपनी कंपनी खो लकर भी काम कर सकते हैं.
आमदनी
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